जबलपुर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने के मामलों की जांच शुरू हो गई है
जबलपुर में फर्जी जाति प्रमाण पत्रों की जांच शुरु:तहसीलों में 5 साल के रिकॉर्ड की होगी छानबीन; कई संदिग्ध मिले

जबलपुर में फर्जी जाति प्रमाण पत्र के जरिए नौकरी हासिल करने के मामलों की जांच शुरू हो गई है। कलेक्टर दीपक सक्सेना ने सभी तहसीलों के एसडीएम को जांच के आदेश दिए हैं।
रांझी, जबलपुर, अधारताल, पनागर, मझौली, पाटन, शाहपुरा और गोरखपुर तहसील में पिछले पांच सालों के जाति प्रमाण पत्रों की जांच की जा रही है। ये प्रमाण पत्र सरकारी योजनाओं का लाभ लेने, नौकरी पाने और स्कूल में दाखिले के लिए इस्तेमाल किए गए हैं।
जांच में अब तक करीब 100 जाति प्रमाण पत्र संदिग्ध पाए गए हैं। एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के प्रमाण पत्रों की छानबीन के लिए 1950 और 1984 के रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। कुछ मामलों में प्रशासनिक अधिकारियों और कर्मचारियों की मिलीभगत भी सामने आई है। इन्होंने दलालों की मदद से फर्जी प्रमाण पत्र बनवाए और आवेदकों से पैसे लिए।
विशेषज्ञों की मदद से हर मामले की बारीकी से जांच की जा रही है। कलेक्टर दीपक सक्सेना खुद इस जांच की निगरानी कर रहे हैं। तहसील स्तर पर गठित टीम भी प्रमाण पत्रों की जांच में जुटी है। प्रशासन की इस कार्रवाई से फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनाने की गतिविधियों पर रोक लगने की उम्मीद है। दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।